'विराटा की पद्मिनी' (virata ki padmini) श्री वृंदावनलाल वर्मा का एक अमर ऐतिहासिक उपन्यास है ।
वृंदावनलाल वर्मा ऐतिहासिक कहानीकार एवं लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। बुन्देलखंड का मध्यकालीन इतिहास इनके कथा का मुख्य आधार है। घटना की विचित्रता, प्रकृति-चित्रण और मानव-प्रकृति के ये सफल चितेरे थे। इनका जन्म ९ जनवरी १८८९ ई० को मऊरानीपुर झाँसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पिता का नाम अयोध्या प्रसाद था।
पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाओं के प्रति बचपन से ही इनकी रुचि थी। प्रारम्भिक शिक्षा भिन्न-भिन्न स्थानो पर हुई। बी.ए. पास करने के बाद इन्होंने कानून की परीक्षा पास की और झाँसी में वकालत करने लगे। १९०९ ई० में 'सेनापति ऊदल' नामक नाटक छपा जिसे तत्कालीन सरकार ने जब्त कर लिया। १९२० ई० तक छोटी छोटी कहानियाँ लिखते रहे। १९२७ ई० में गढ़ कुण्डार दो महीने में लिखा। १९३० ई० में विराटा की पद्मिनी लिखा। अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए वृंदावनलाल वर्मा को आगरा विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट्. की उपाधि से सम्मानित किया गया।
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11 टिप्पणियां:
thank you.
वृन्दावन लाल वर्मा और आचार्य चतुरसेन शास्त्री पौराणिक ऐतिहासिक दस्तानों के चतुर चितेरे हैं -विराट की पद्मिनी से परिचय कराने के लिए आभार !
इस पुस्तक को हमारे साथ बाटने के लिए धन्यवाद्
धन्यवाद्
aaj maine pahli bar yeh site open ki hain aur main is se kafi prabhavit huva hun. shukriyaaaaaaa...........
please upload Mrignayani from V L Verma . On this novel, a teleserial featuring Pallavi Joshi and Mohan Bhandari was also aired on Doordarshan
thanks for a great job.
jai hind
इस पुस्तक को पाठकों तक पहुँचाने के लिए धन्यवाद .
Please upload some novels of Malti Joshi ji and Shivani ji.
कृपया अपने पुराने अपलोद किये गए लिंक्स को अपडेट करें। धन्यवाद
This story is always good, i have read this book multiple times. I read this for the first time when i was 13, I still like reading this when i am 28.
Thanks for putting this online my paper book is missing multiple pages now.
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