'सत्य के प्रयोग' महात्मा गांधी की आत्मकथा है। यह आत्मकथा उन्होने मूल रूप से गुजराती मे लिखी थी। हिंदी में इसका अनुवाद हरिभाऊ उपाध्याय ने किया था । यह इस पुस्तक का सातवाँ संस्करण है ।
बीसवी शताब्दी में 'सत्य के
प्रयोग' अथवा 'आत्मकथा' के नाम से लेखन मोहनदास करमचंद गाँधी (1869-1948) ने-
सत्य, अहिंसा, ईश्वर का मर्म समझने-समझाने के विचार से किया था। उसका
प्रकाशन भले ही 1925 में हुआ, पर उसमें निहित बुनियादी सिद्धांतों पर वे
अपने बचपन से चलने की कोशिश करते आए थे। बेशक इस क्रम में माँसाहार, बीड़ी
पीने, चोरी करने, विषयासक्त रहना जैसी कई आरंभिक भूलें भी उनसे हुईं और
बैरिस्टरी की पढ़ाई के लिए विदेश जाने पर भी अनेक भ्रमों-आकर्षणों ने उन्हें
जब-तब घेरा, लेकिन अपने पारिवारिक संस्कारों, माता-पिता के प्रति अनन्य
भक्ति, सत्य, अहिंसा तथा ईश्वर साध्य बनाने के कारण गाँधीजी उन संकटों से
उबरते रहे।

महात्मा गाँधी बीसवीं सदी के सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं; जिनकी अप्रत्यक्ष उपस्थिति उनकी मृत्यु के साठ वर्ष बाद भी पूरे देश पर देखी जा सकती है। उन्होंने भारत की कल्पना की और उसके लिए कठिन संघर्ष किया। स्वाधीनता से उनका अर्थ केवल ब्रिटिश राज से मुक्ति का नहीं था बल्कि वह गरीबी, निरक्षरता और अस्पृश्यता जैसी बुराइयों से मुक्ति का सपना देखते थे। वह चाहते थे कि देश के सारे नागरिक समान रूप से आज़ादी और समृद्धि का सुख पा सकें।
अवश्य पढ़ें।
डाउनलोड लिंक :(Megaupload)
कृपया यहाँ क्लिक करें
या
डाउनलोड लिंक :(Multi Mirror)
कृपया यहाँ क्लिक करें
(डाउनलोड करने में कोई परेशानी हो तो कृपया यहाँ क्लिक करें)
ये पुस्तक आपको कैसी लगी? कृपया अपनी टिप्पणियां अवश्य दें।
अगर आपको ये पुस्तक पसंद आई हो तो इसे नीचे दिए गए लिंक से फेसबुक पर लाइक करें!
5 टिप्पणियां:
गांधी महामानव थे ...मानवता और मानवीयता का एक और अवतार !
Please upload autobiography of Vivekanandji and Bhagatsinghji.
please upload a book titled 'aur gunj raha jati hain'
Boss from where to download, your link is for advertisements not for book.
Great Service !!
Book not available for download plz upload it again or mail me @ antalravikumar@gmail.com thanks
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियां हमारी अमूल्य धरोहर है। कृपया अपनी टिप्पणियां देकर हमें कृतार्थ करें ।