'कौवारोर' कौतुक बनारसी के नाम से मशहूर शिवमूर्ति शिव का हास्य काव्य संग्रह है .
कौतक बनारसी हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध गद्यकार और कवि रहे है . इनकी रचनाये पाठकों के दिल-ओ-दिमाग को छू लेती है.
प्रस्तुत पुस्तक की रचना १९५९ में की गयी थी. इसमें हास्य-रस की ऐसी कविताओं का संकलन है जो पाठकों के मन को गुदगुदाती है. जैसे कि 'मच्छर-सम्मलेन', 'प्रेमनगर की होली', 'बड़ी मांग है' इत्यादि .
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5 टिप्पणियां:
Aap kaa bahut dhanyabad. Main Videsh me hun aur aap ke saujanya se Hindi ki pushtak parh kar danya ho gaya hun.
Ram Pandey
धन्यवाद्!
Sarvarahmed Siddiqui
Report · 20:10
http://t.co/70afUUB
IN JUSTICE IN ME INDIA IFEEL SMELL OF TERRORIST,PLS VISIT US AT:http://jammu.olx.in/in-jusutice-in-me-in-india-iid-265987014
समय की शिला पर मधुर चित्र बसे,
किसी ने बनाये किसी ने मिटाया उसे !
किसी ने लिखी आँसूंओं से कहानी,
किसी ने बहाया उसमें दो बूँद पानी !
इसी में बीत गए दिन ज़िन्दगी के,
रंगों-भरी तस्वीर बेरंग-सी लगे !
विकल सिन्धु की लहर न रुके कभी,
धरा न उठाये, गगन न गिराए उसे !
प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने,
मिलन ने जलाये, विरह ने बुझाये इतने !
नयन-प्राण में रूप के स्वप्न जितने,
निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने !
क्या कोई ये कौवारोर मुझे भेजने मे मदद करेगा ये डाउनलोड नहीं हो रही, ये बहोत आचा साईट है हिंदी किताबो के लिया पर लिंक को सही तरह से अपडेट नहीं रखा जा रहा, किसी के पास अगर हो तो मुझे फॉरवर्ड करे nileshsoni11@rediffmail.com
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