उपनिषद: उपनिषद वेदों के अत्यन्त दार्शनिक भाग हैं।चूंकि ये वेदों के अंतिम भाग हैं इसीलिए इन्हे वेदों का सार भी कहा जा सकता है। उपनिषद = उप + नि + षद ; जिसका अर्थ है पास बैठना । उपनिषदों को वेदान्त भी कहते हैं, जिसका अर्थ है वेदों का अंतिम भाग । दूसरा शब्द जो प्रयोग में आता है वह है - उत्तर मीमांसा, जिसका अर्थ है काल-क्रम में बाद की मीमांसा (इंक्वायरी) आज तक दो सौ से भी अधिक उपनिषद ज्ञात हैं। मुक्तिकोपनिषद में इनकी कुल संख्या १०८ गिनाई गई है। सभी उपनिषद किसी न किसी वेद से सम्बद्ध हैं। इनमें से १० ऋग्वेद से, १९ शुक्ल यजुर्वेद से, ३२ कृष्ण यजुर्वेद से, १६ सामवेद से और ३१ अथर्ववेद से सम्बद्ध हैं। १०८ उपनिषदों में से प्रथम १० को मुख्य उपनिषद कहा जाता है; २१ उपनिषदों को सामान्य वेदांत , २३ उपनिषदों को सन्यास, ९ को शाक्त, १३ को वैष्णव , १४ को शैव तथा १७ उपनिषदों को योग उपनिषद की संज्ञा दी गयी है। मुख्य उपनिषद निम्नलिखित हैं: १. ईश - शुक्ल यजुर्वेद
२. केन - सामवेद
३. कथा - कृष्ण यजुर्वेद
४. प्रश्न - अथर्ववेद
५. मुण्डक - अथर्ववेद
६. मान्डूक्य - अथर्ववेद
७. तैत्रेय - कृष्ण यजुर्वेद
८. एत्रेय - ऋग्वेद
९. छान्दोग्य - सामवेद
१०. वृहदारण्यक - शुक्ल यजुर्वेद
उपनिषद को यह नाम इसलिए मिला है क्योंकि ये वेदों के ही हिस्से हैं। वेदों से ही प्रेरित इन उपनिषदों की रचना वेदव्यास के ही चार शिष्यों ने की है। मूलत: 108 उपनिषद माने जाते हैं। उपनिषद का अंग्रेजी में अर्थ है कॉलोनी। जैसे शहर के ही किसी एक हिस्से को कॉलोनी कहते हैं, वैसे ही उपनिषदों को भी वेदों का ही हिस्सा माना जाता है। वेदों के ही श्लोकों को कथानक के रूप में उपनिषदों में लिया जाता है। |
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7 टिप्पणियां:
उपनिषद का हिन्दी अर्थ ही बताये होते!
kamsutra book hindi mai
i want kamsutra book in hindi.plz help me
एक भी डाऊनलोड लिंक काम नहीं करती ...Taim Pass काम है ..:(
ye download nahi ho rahi
धर्म और धार्मिक संग्रह पर भी यदि कॉपी राइट जैसी प्रणाली लागु की जाये तो व्यवसाय और धर्म में क्या अंतर रह जायेगा?
उचित यही है यदि आप व्यवसायी है तो आगे की पंक्तियों से आपका कोई सरोकार नहीं होना चाहेये तो मैं जो भी लिखूं आपको फर्क नहीं पड़ना चाहिए और यदि आप धार्मिक है तो धार्मिक संग्रह पर कॉपी राईट लेने वाले लोगों पर लगाम लगाने में सहयोग करें और अन्यथा धार्मिक भावनाओं से अपनी रोजी के साथ साथ एश प्रस्थि करने वालों के खिलाफ आवाज बुलंद करने की कृपा करे। मुस्लिम और ईसाईयों को धार्मिक व्यवसाय करने दीजिये हिन्दू साहित्य को मुफ्त प्रकाशित करे और लोगों को आरामदायक सुविधा प्रदान करें। ताकि अधिक से अधिक लोग हिन्दू धर्म को जाने और सबसे पुराने धर्म में आस्था रखे।
koi bhee link kam nahi kar raha hai kripya kuchh keejiye
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