'लोहारबारी' परदेशीराम वर्मा की एक प्रसिद्ध कहानी है.
परदेशीराम वर्मा एक महत्वपूर्ण कथाकर हैं. वे छत्तीसगढ के एक आंचलिक कथाकर हैं. परदेशीराम वर्मा भारत के गांवों की अंतरूणी सच्चाई के जानकार हैं.
परदेशीराम वर्मा
की भाषा उनकी शक्ति है. वे संस्मरण से ज्यादा ताकतवर एक कहानीकार के रूप
में दिखते हैं. सहज से दिखते समाज के संघर्ष को परदेशीराम वर्मा नें खूब
पकडा है. आज कहानियों में जहां भाषा और शिल्प का चमत्कार दिखलाया जा रहा
है वहां परदेशीराम वर्मा जैसे लेखक गहन कथ्य और भाषा की सहजता का संस्कार
लेकर कथा की यात्रा आगे बढा रहे हैं.
हिन्दी और छत्तीसगढी में समान रूप से लिखकर पहचान बनाने वाले चुनिंदा साहित्यकारों में से एक कथाकार डा परदेशीराम वर्मा नें कहानी, उपन्यास, संस्मरण, जीवनी, निबंध, शोध प्रबंध आदि सभी विधओं में पर्याप्त लेखन किया है ।
भारतीय साहित्य जगत उन्हे एक कथाकार के
रूप में पहचानता है । उनकी कृति 'औरत खेत नही' कथा संग्रह को अखिल भारतीय
साहित्य परिषद द्वारा मदारिया सम्मान प्राप्त हुआ । तीन हिन्दी एक
छत्तीसगढी कहानी पुरस्कृत हुई है । जीवनी आरूग फूल को मघ्य प्रदेश साहित्य
परिषद का सप्रे सम्मान मिला । उपन्यास प्रस्थान को महन्त अस्मिता पुरस्कार
प्राप्त हुआ । छत्तीसगढी उपन्यास आवा रविशंकर विश्वविद्वालय के एम ए हिन्दी
के पाठयक्रम में सम्मिलित हुआ ।
(विवरण आरम्भ से साभार )
फाइल का आकार: 1 Mb
डाउनलोड लिंक(Megaupload) :
कृपया यहाँ क्लिक करें
डाउनलोड लिंक :(Multi Mirror)
कृपया यहाँ क्लिक करें
(डाउनलोड करने में कोई परेशानी हो तो कृपया यहाँ क्लिक करें)
ये पुस्तक आपको कैसी लगी? कृपया अपनी टिप्पणियां अवश्य दें।
Hindi PDF
कृपया यहाँ क्लिक करें
या
डाउनलोड लिंक :(Multi Mirror)
कृपया यहाँ क्लिक करें
(डाउनलोड करने में कोई परेशानी हो तो कृपया यहाँ क्लिक करें)
ये पुस्तक आपको कैसी लगी? कृपया अपनी टिप्पणियां अवश्य दें।
Hindi PDF
0 टिप्पणियां:
टिप्पणी पोस्ट करें
आपकी टिप्पणियां हमारी अमूल्य धरोहर है। कृपया अपनी टिप्पणियां देकर हमें कृतार्थ करें ।