पिछले कुछ दिनों से 'अपनी हिंदी' में कुछ तकनीकी दिक्कतें आ रही थी जिसकी वजह से हम आप लोगो को लगातार पुस्तकें उपलब्ध नहीं करवा पाएं और आपके इ-मेल का भी जवाब नहीं दे पाएं। आपकी फरमायशों पर भी कार्य नहीं हो पाया। इसका हमें बहुत खेद है।
बहरहाल, अब हमने इन सभी दिक्कतों को काफी हद तक सुलझा लिया है और उम्मीद है कि आगे से हम आपको हिंदी की दुर्लभ पुस्तकें लगातार उपलब्ध करवा पाएंगे।
इसके अलावा गूगल द्वारा भी 'अपनी हिंदी' में संभावित virus की सूचना दी जा रही थी जिससे पाठकों को काफी परेशानी हुई । जबकि ऐसा कुछ इस साईट पर नहीं था । गूगल द्वारा कुछ विज्ञापनों को ही virus समझा जा रहा था. हमने गूगल से इस विषय में संवाद किया जिसके परिणामस्वरूप गूगल ने इस वेबसाइट को सुरक्षित घोषित कर दिया है। इसलिए आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है । 'अपनी हिंदी' पूरी तरह से सुरक्षित है।
आप भी हिंदी साहित्य को बढ़ावा दें और 'अपनी हिंदी' के बारे में अपने मित्रों-परिचितों को बताएं ।
धन्यवाद ।
- प्रबंधक
वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक, किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं। - आचार्य श्रीराम शर्मा

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सोमवार, 18 अप्रैल 2011
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4 टिप्पणियां:
बीच में बहुत समस्या हुयी थी, अब सब ठीक है।
हाँ virus की सूचना से बहुत समस्या हो रही थी, अब सब ठीक है। धय्नवाद।
हमें ये जानकार बहुत ही ख़ुशी हुयी इससे पहले हमें इस साईट पर आकर बहुत ही निराशा हुई थी
धन्यवाद्
धन्यवाद , आपके द्वारा दी गयी इस सूचना के लिए , आशा करता हूँ की भविष्य में इस हमें और भी पुस्तकें उपलब्ध होंगी ........ , आपके द्वारा दी गयी इस सूचना के लिए , आशा करता हूँ की भविष्य में इस हमें और भी पुस्तकें उपलब्ध होंगी ........
धन्यवाद
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