
'बंगाल का काल' हरिवंश राय बच्चन का कविता संग्रह है। इसमें बंगाल के काल का मार्मिक वर्णन किया गया है। इसकी रचना १९४६ में की गयी थी ।
हरिवंश राय बच्चन हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि और लेखक थे ।
बच्चन जी ने कभी किसी धारा या वाद से जुडने की आतुरता नहीं दिखाई। यह उनकी सबसे बडी विशेषता थी। जब हिंदी में ’प्रगतिवादी‘ आंदोलन चला तब बच्चन अपने मधुकाव्य की हाला पी मस्ती में झूम रहे थे। जब हिंदी में ’प्रयोगवाद का स्वर गूँजा तब बच्चन जी ’बंगाल का काल‘ लिख रहे थे और जब नई कविता की धूम मची तब वे ’मिलन यामिनी‘ और ’प्रणय पत्रिका‘ लिखने में व्यस्त रहे।
बच्चन जी हिंदी के ऐसे कवि हैं जिन्होंने खुद कविता नहीं लिखी है बल्कि कविता ने ही स्वयं जिन्हें लिखा है। बच्चन जी हिंदी के ऐसे कवि हैं जिन्होंने खुद कविता नहीं लिखी है बल्कि कविता ने ही स्वयं जिन्हें लिखा है। वह ज्ञान के बल पर किताबें पढ़कर या काव्य के सिद्धांत सीखकर नहीं लिखी गई है, वह सीधे उनके जीवन से फूटकर आई है। वह लिखी इसलिए गई कि वह न लिखने पर बच्चन जी जीवित नहीं रह सकते थे। वह अनिवार्यता थी, विवशता थी यानी उनके जीने की शर्त। तुलसी ने जिस आस्था और विश्वास के साथ स्वयं को राम के चरणों में समर्पित किया था उसी आस्था और विश्वास के साथ बच्चन जी ने खुद को कविता के हाथों सौंपा है।
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5 टिप्पणियां:
यह किताब डाउनलोड नही हूँ रही है , कृपया करके बताए डाउनलोड कैसे करे ?
लिंक सही है. अगर डाउनलोड करना नहीं आता तो पहले 'सहायता' देखें.
हरिवंश राय बच्चन JI KI EK BHI BOOK KA SAHI LINK NAHI HE PLEASE SARE LINK SAHI KIJIYE
THNKS
Link is broken
बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
आभार
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