चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म 340BC, राज 322-298 BC) में भारत में सम्राट थे। इनको कभी कभी चन्द्रगुप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफ़ल रहे।
चन्द्रगुप्त मौर्य के विशाल साम्राज्य में काबुल, हेरात, कन्धार, बलूचिस्तान, पंजाब, गंगा-यमुना का मैदान, बिहार, बंगाल, गुजरात था तथा विन्ध्य और कश्मीर के भू-भाग सम्मिलित थे
मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक राजवंश था । इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया । इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया।
चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म वंश के सम्बन्ध में विवाद है । ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों में परस्पर विरोधी विवरण मिलता है ।
विविध प्रमाणों और आलोचनात्मक समीक्षा के बाद यह तर्क निर्धारित होता है कि चन्द्रगुप्त मोरिय वंश का क्षत्रिय था । चन्द्रगुप्त के पिता मोरिय नगर प्रमुख थे । जब वह गर्भ में ही था तब उसके पिता की मृत्यु युद्धभूमि में हो गयी थी । उसका पाटलिपुत्र में जन्म हुआ था तथा एक गोपालक द्वारा पोषित किया गया था । चरावाह तथा शिकारी रूप में ही राजा-गुण होने का पता चाणक्य ने कर लिया था तथा उसे एक हजार में कषार्पण में खरीद लिया । तत्पश्चा्त् तक्षशिला लाकर सभी विद्या में निपुण बनाया । अध्ययन के दौरान ही सम्भवतः चन्द्रगुप्त सिकन्दर से मिला था । ३२३ ई. पू. में सिकन्दर की मृत्यु हो गयी तथा उत्तरी सिन्धु घाटी में प्रमुख यूनानी क्षत्रप फिलिप द्वितीय की हत्या हो गई ।
जिस समय चन्द्रगुप्त राजा बना था भारत की राजनीतिक स्थिति बहुत खराब थी । उसने सबसे पहले एक सेना तैयार की और सिकन्दर के विरुद्ध युद्ध प्रारम्भ किया । ३१७ ई. पू. तक उसने सम्पूर्ण सिन्ध और पंजाब प्रदेशों पर अधिकार कर लिया । अब चन्द्रगुप्त मौर्य सिन्ध तथा पंजाब का एकक्षत्र शासक हो गया । पंजाब और सिन्ध विजय के बाद चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य ने धनानन्द का नाश करने हेतु मगध पर आक्रमण कर दिया । युद्ध में धनाननन्द मारा गया अब चन्द्रगुप्त भारत के एक विशाल साम्राज्य मगध का शासक बन गया । सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस उसका उत्तराधिकारी बना । वह सिकन्दर द्वारा जीता हुआ भू-भाग प्राप्त करने के लिए उत्सुक था । इस उद्देश्य से ३०५ ई. पू. उसने भारत पर पुनः चढ़ाई की । चन्द्रगुप्त ने पश्चिामोत्तर भारत के यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर एरिया (हेरात), अराकोसिया (कंधार), जेड्रोसिया पेरोपेनिसडाई (काबुल) के भू-भाग को अधिकृत कर विशाल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की । सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलन का विवाह चन्द्रगुप्त से कर दिया । उसने मेगस्थनीज को राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में नियुक्तम किया ।
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7 टिप्पणियां:
Dhanyawad
बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - ठन-ठन गोपाल - क्या हमारे सांसद इतने गरीब हैं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
चन्द्रगुप्त मौर्य ki hi tarah se aap akbar ki books bhi upload kare
apka abhar prakat karta hu dhanyvwad
I want this book kindly reupload this book or send me on ankit.patni@gmail.com
ye file download nahin ho rahi h plz asan sa tarika batayen
West for online giving by the books
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