
'असत्यम, अशिवम , असुन्दरम' श्री यशवंत कोठारी का व्यंग्य उपन्यास है।
यशवंत कोठारी के व्यंग्य आज की भौतिकवादी मानसिकता पर जमकर प्रहार करते है और आत्मचिंतन करने पर मजबूर करते हैं कि आखिर यह प्रवृत्ति हमें कहाँ ले जाएगी !
लेखक के लगभग १००० लेख, निबन्ध, कहानियाँ, आवरण कथाएँ, धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, सारिका, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, भास्कर, नवज्योती, राष्ट्रदूत साप्ताहिक, अमर उजाला, नई दुनिया, स्वतंत्र भारत, मिलाप, मधुमती, स्वागत आदि में प्रकाशित/ आकाशवाणी / दूरदर्शन ...इन्टरनेट से प्रसारित है ।
कार्यक्षेत्र-
देश-विदेश में दस राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारों में आमंत्रित / भाग लिया राजस्थान साहित्य अकादमी की समितियों के सदस्य १९९१-९३, १९९५-९७, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की हिन्दी समिति के सदस्य-२०१०-१३
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2 टिप्पणियां:
धन्यवाद अपनी हिंदी,
लंबे समय से मैं अभिज्ञान शाकुन्तल खोज रहा था. मुझे आज यहाँ मिल गया.
संदीप.
श्री मान जी
आज "पंडित जी " उपन्यास पढा. . . बहुत समय बाद कोई अछा
साहित्य पढ्ने को मिला है
इसके लेखक का नाम भी बता दीजिये. . . धन्यवाद
दिल के तार झंक्रित कर देने वाला. . .
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