
प्रस्तुत पुस्तक में रविंद्रनाथ ठाकुर ने अपने बचपन के संस्मरण लिखे है। पुस्तक का बांग्ला भाषा से हिंदी में अनुवाद श्री हजारीप्रसाद द्विवेदी ने किया है।
वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति है। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनी रवीन्द्रनाथ ठाकुर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगद्रष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति है।
वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
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3 टिप्पणियां:
मेरे प्रेरणा गीत के रचयिता कविगुरु को शत-शत नमन।
यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे
तबे एकला चलो रे।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
फ़ुरसत में …बूट पॉलिश!, करते देखिए, “मनोज” पर, मनोज कुमार को!
बहुत ही अच्छी भेट है ये नवरात्री के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
अपनी हिंदी परिवार के सभी सदस्यों को शुभ नवरात्री
kya aap chetan bhagat or ruskin bond ki hindi me translate books upload karenge............
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