श्री राधे राधे , बरसाने वाली राधे ।
पेश है आप सभी के लिए ये गीत ।
वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक, किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं। - आचार्य श्रीराम शर्मा

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गुरुवार, 2 सितंबर 2010
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3 टिप्पणियां:
बहुत नायाब प्रस्तुति।
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को श्री कृष्ण जन्म की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
बेहतरीन लेखन के बधाई
शुभकामनाएं
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
दर्शन दो घनश्याम
नाथ,
मेरी अंखिया प्यास
ी रे !
मन मंदिर की ज्योत
जगा दे , घट घट के
वासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ,
मेरी अंखिया प्यासी रे !!
मंदिर मंदिर मूरत तेरी,
फिर भी ना दिखे सूरत
तेरी !
युग बीते ना आई मिलन
की पूर्णमासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ,
मेरी अंखिया प्यासी रे !!
द्वार दया का जब तू
खोले, पंचम सुर मैं
गूंगा बोले !
अंधा देखे लंगडा चलकर
पहुंचे कासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम
नाथ,
मेरी अंखिया प्यास
ी रे !!
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