
ऐसी विरली ही पुस्तकें होती हैं जो न केवल पाठक तलाशती हैं, बल्कि तलाशे पाठकों को कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में तराशती भी हैं। अपनी प्रसन्न जल जैसी शैली तथा देश के जल स्रोतों के मर्म को दर्शाती एक पुस्तक ने भी देश को हज़ारों कर्मठ कार्यकर्ता दिए हैं। पुस्तक का नाम है 'आज भी खरे हैं तालाब'।
अपने देश में बेजोड़ सुंदर तालाबों की कैसी भव्य परंपरा थी, पुस्तक उसका पूरा दर्शन कराती है। तालाब बनाने की विधियों के साथ-साथ अनुपम जी की लेखनी उन गुमनाम नायकों को भी अंधेरे कोनों से ढूँढ़ लाती है, जो विकास के नए पैमानों के कारण बिसरा दिए गए हैं।
पुस्तक के पहले संस्करण के बाद देशभर में पहली बार अपने प्राचीन जल स्रोतों को बचाने की बहस चली, लोगों ने जगह-जगह बुजुर्गों की तरह बिखरे तालाबों की सुध लेनी शुरू की। इसकी गाथा बेशक लंबी है, लेकिन फिर भी देखने का प्रयास करते हैं ।
मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित जल राणा राजेंद्र सिंह बताते हैं कि राजस्थान की उनकी संस्था तरुण भारत संघ के पानी बचाने के बड़े काम को सफल बनाने में इस पुस्तक का बहुत बड़ा हाथ है। मध्यप्रदेश के सागर जिले के कलेक्टर श्री बी. आर. नायडू, जिन्हें हिंदी भी ठीक से नहीं आती थी, पुस्तक पढ़ने के बाद इतना प्रभावित हुए कि जगह-जगह लोगों से कहते फिरे, 'अपने तालाब बचाओ, तालाब बचाओ, प्रशासन आज नहीं तो कल अवश्य चेतेगा।' श्री. नायडू की ये मामूली अलख सागर जिले के १००० तालाबों को निरंजन कर गई। ऐसी ही एक और अलख के कारण शिवपुरी जिले के लगभग ३४० तालाबों की सुध ली गई। मध्यप्रदेश के ही सीधी और दमोह के कलेक्टरों ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में इस पुस्तक की सौ-सौ प्रतियाँ बाँटी। पानी के लिए तरसते गुजरात के भुज के हीरा व्यापारियों ने इस पुस्तक से प्रभावित होकर अपने पूरे क्षेत्र में जल-संरक्षण की मुहिम चलाई। पुस्तक से प्रेरणा पाकर पूरे सौराष्ट्र में ऐसी अनेक यात्राएँ निकाली गईं। पानी बचाने के लिए सबसे दक्ष माने गए राजस्थान के समाज को भी इस पुस्तक ने नवजीवन दिया। राजस्थान के प्रत्येक कोने में पुस्तक के प्रभाव के कारण सैकड़ों जल-यात्राओं के साथ-साथ हज़ारों पुरातन जल-स्रोत सँभाले गए। ऐसी अनेक यात्राएँ आज भी जारी हैं।
'आज भी खरे हैं तालाब' पुस्तक न केवल धरती का, बल्कि मन-माथे का अकाल भी दूर करती है।
फाइल का आकार: 3 Mb
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1 टिप्पणियां:
sir ji,
we r unable to open another 2 websites (http://www.jyotish.tk/) and hindi ki bindi,
plz provide the correct address or provide any other link so we can take advantage of reading good books. Thanx ji.
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