
गोदान उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है। कुछ लोग इसे प्रेमचंद की सर्वोत्तम कृति भी मानते हैं। इसका प्रकाशन सन १९३६ ई० में हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई द्वारा किया गया था। इसमें भारतीय ग्राम समाज एवं परिवेश का सजीव चित्रण किया गया है।
गोदान औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत किसान का महाजनी व्यवस्था में चलने वाले निरंतर शोषण तथा उससे उत्पन्न संत्रास की कथा है। गोदान का नायक होरी एक गरीब किसान है जो किसान वर्ग के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद है। आजीवन दुर्धर्ष संघर्ष के वावजूद उसकी एक अदद गाय की आकांक्षा पूर्ण नहीं हो पाती। गोदान भारतीय कृषक जीवन के संत्रासमय संघर्ष की कहानी है।
यह पुस्तक हमें श्री नावेद हयात ने दिल्ली से भेजी है।
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13 टिप्पणियां:
आपका धन्यवाद मै किस तरह से अदा करू वो समज नहीं आता. आप जो हिंदी की सेवा कर रहे है उसके सामने हम नतमस्तक है......भगवन आपको लम्बी आयु और स्वासथ्य प्रदान करे जिसे की आप दिन दुगनी रात चोग्नी प्रगति करे ..यही हमारी भगवन से प्रार्थना है.....
आपका
राहुल
आपका हिंदी प्रेम हमें जीवन पर्यंत सीखने की प्रेरणा देता है.
काश ! मै भी आप जैसे किसी अन्य भाषा की सेवा कर पता.
किसी भी लिंक से डाउनलोड नहीं हो रही
आपका हिंदी प्रेम हमें जीवन पर्यंत सीखने की प्रेरणा देता है.
Munshi Premchand Ji Such A Very Near "aam Asdmi"..I realy Like his Story
Apko jitna dhanyawad karun kum hai. Premchand ji ki is bhumulya kriti ko uplabdha karane ke liye punah dhanyavad.
Yadi sumbhav ho to ABHIMANYU ANAT ji ki kritiyan jaise LAL PASINA uplabdha karane ki kripa karen.
mujhe kalam ka sipahi chahhiya plsssss
Ad fly is page k bad koi bhi download page nahi khul raha. kya kare
pls other link
गोदान का लिंक भेजने के लिए आपका
बहुत-बहुत आभार
एडमिन यहाँ दी गयी कोई भी लिंक काम नहीं कर रही है , कृपा कर सही डाउनलोड कर सकने योग्य लिंक को पोस्ट करें, धन्यवाद |
जब ज्योत से ज्योत जला कर सारा जहा हम तुम से रौशन है.
आब बरी हिंदी साहित्य कि अंगेजी तों चार दिन का फैशन है.
आप सच्च में देश सेवा और मात्रभाषा सेवा कर रहे है / सच्चे अर्थो में आप कलम के सिपाही है / इस पुस्तक के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद् /
मोनू सिंह , मुज़फ्फरनगर , उत्तर प्रदेश
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