कुमार विश्वास हिंदी के जाने-माने कवि है। इन्ही की एक और कविता कविता "पगली लड़की" यहाँ पेश है।
डॉ कुमार विश्वास जो अपनी वाक्-पटुता, विद्वता, और समय-अवसर पर अपनी विराट स्मरण-शक्ति के प्रयोग के कारण कवि-सम्मेलनों में काफी लोकप्रिय है।आई.आई.टी और कॉरपरेट-जगत के सचेत श्रोता हों अथवा कोटा-मेले में बेतरतीब फैला लाखों का जन समूह , प्रत्येक मंच को अपने संचालन से डॉ कुमार विश्वास इस तरह लयबद्ध कर देते हैं कि पूरा समारोह अपनी संपूर्णता को जीने लगता है।
श्रोताओं को अपने जादुई सम्मोहन में लेने का उनका यही अदभुत कौशल, उन्हें समकालीन हिन्दी कवि-सम्मेलनों का सबसे दुलारा कवि बनाता है। स्व० धर्मवीर भारती ने उन्हें हिन्दी की युवतम पीढ़ी का सर्वाधिक संभावनाशील गीतकार कहा था। महाकवि नीरज जी उनके संचालन को निशा नियामक कहते हैं और प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा के अनुसार वे इस पीढ़ी के एकमात्र ISO 2006 कवि हैं ।
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वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक, किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं। - आचार्य श्रीराम शर्मा

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सोमवार, 26 अप्रैल 2010
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10 टिप्पणियां:
क्या बात है, एक पगली लडकी तो जीवन का वो हिस्सा बन चुकी है कि मरने के बाद भी उसे भूलना मेरे लिये नामुमकिन है।
पायल मैँ तुम्हे खो चुका हूँ पर तुम हमेशा मेरे साथ रहोगी मरते दम तक
कुछ तो खाश है .
wah wah waahhh
i like this poem
bahut khob kaha apne
maine bhi ek pagli larki ko khoya hai. jo meri jaan thi per ab usme jaan nahi hai. this poem is ture poem for me.
very fantastic poem.
bahut achi hai
Bahut achha...
wah wah gud one
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