
'एक छोटी-सी लड़ाई' प्रसिद्ध कवि कुमार विकल का कविता-संग्रह है।
कुमार विकल ने बहुत कम लिख कर बड़ा नाम कमाया। बेशक उनकी काव्य-यात्रा ज्यादा लंबी नहीं थी। बीस सालों में उनके महज तीन संग्रह आए और बेहद ज्यादा चर्चित रहे। 'एक छोटी-सी लड़ाई' (१९८०), 'रंग खतरे में हैं' (१९८२) और 'निरुपमा दत्त मैं बहुत उदास हूं' (१९९३) आदि की कविताओं से जनवादी कविता का नया मुहावरा शुरू होता है। बेवजह ही उनकी कविताओं को अंधेरे के खिलाफ सशक्त चीख की कविताएं नहीं बताया जाता।
तेइस फरवरी, १९९७ को वह मौत को हासिल हो गए, लेकिन उनकी कविताएं जिंदा हैं। उनकी आखिरी कविताओं में से एक कविता 'मृत्यु-द्वार' है :
दुनिया की सबसे खूबसूरत/ औरत के बाद/ यदि कोई खूबसूरत चीज है/ वह है केवल मृत्यु/ मृत्यु जो हमें/ परियों के संसार में ले जाती है/ तरह-तरह के जादूगरों से मिलाती है/ जादूगरों का वह संसार/ अद्भुत होता है/ वहां आदमी/ किसी वक्त भी मर सकता है/ और दोबारा जी भी सकता है/ मैं उस जादूगर की तलाश में हूं/ जो मुझे सिर्फ मृत्यु-द्वार तक ले जाए/ और फिर वापस ले आए/ जहां दुनिया की सबसे खूबसूरत/ औरत/ मेरा इंतजार कर रही हो।
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