
निशा निमंत्रण हरिवंशराय बच्चन के गीतों का संकलन है जिसका प्रकाशन १९३८ ई० में हुआ। ये गीत १३-१३ पंक्तियों के हैं जो कि हिन्दी साहित्य की श्रेष्ठतम उपलब्धियों में से हें।
ये गीत शैली और गठन की दृष्टि से अतुलनीय है। नितान्त एकाकीपन की स्थिति में लिखी गईं ये त्रयोदशपदियाँ अनुभूति की दृष्टि से वैसी ही सघन हैं जैसी भाषा शिल्प की दृष्टि से परिष्कृत। संकलन के सभी गीत स्वतंत्र हैं फिर भी प्रत्येक की रचना का गठन एक मूल भाव से अनुशासित है। पहला गीत "दिन जल्दी जल्दी ढलता है" से प्रारम्भ होकर "निशा निमंत्रण" रात्रि की निस्तब्धता के बड़े सघन चित्र करता हुआ प्रातःकालीन प्रकअश में समाप्त होता है। प्रत्येक दृष्टि से निशा निमंत्रण के गीत उच्चकोटि के हैं और बच्चन का कवि अपने चरम पर पहुँच गया प्रतीत होता है।
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7 टिप्पणियां:
Nice
Bahut achchha
इस पार प्रिय मधु है तुम हो,
उस पार न जाने क्या होगा
teeej per kaise ruku mein,
aaj lahroun main amantran .
idhar meri sakhi hai, udhar tum ho priyetam, iss paar bhi dil hai, uss paar bhi hai man
Bachhan is my evergreen star.
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