
'लहू और लोहा' रांगेय राघव की एक कहानी है जिसमे मजदूरों और सत्ता के संघर्ष की पृष्ठभूमि दिखाई गयी है।
"जब खून लोहे में लगता है, तब वह जुलम बन जाता है, पर जब लोहा खून में उतरता है उस समय वह लोहा बनने लगता है - वही पानी जैसा खून लोहा बन जाता है । "
- इसी कहानी से ।
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