
किताबघर में पेश है पुस्तक - चैतन्य महाप्रभु ।
इस पुस्तक में चैतन्य महाप्रभु के बारे में जानकारी दी गयी है तथा इनके जीवन की घटनाओं के बारे में भी बताया गया है तथा इनके भगवान का अवतार होने के प्रमाण भी दिए गए है ।
चैतन्य महाप्रभु {१८ फरवरी, १४८६-१५३४) वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी, भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनैतिक अस्थिरता के दिनों में हिंदू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृंदावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है। यह भी कहा जाता है, कि यदि गौरांग ना होते तो वृंदावन आज तक एक मिथक ही होता। वैष्णव लोग तो इन्हें श्रीकृष्ण का राधा रानी के संयोग का अवतार मानते हैं।
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3 टिप्पणियां:
abe kam se kam rapid ka link toh dal de bhai,multiupload hi khul raha hai
naye link dal do na fileflash ya rapid ke
sahi link daalo bhai....
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