
पेश है पुस्तक - मैन्ग्रोव - ज्वारीय वन ।
यह पुस्तक मैन्ग्रोव - ज्वारीय वन के बारे में हमें बतलाती है ।
यह पुस्तक मैंग्रोव वनों की आर्थिक व पारिस्थतिकी भूमिका और उनके संरक्षण की आवश्यकता को समझाने में सहायक होगी।
मैंग्रोव वनों में पाए जाने वाले वन्य जीवन अद्भुत विविधता लिए होता है. मैंग्रोव वनों में पाए जाने वाले जीवों में मुख्यत: अकशेरुकी जीव तथा कीट आते है. पोरीफेरा, स्नाईडेरिया, आर्थोपोडा वर्गों के जीव जड़ों के आस-पास पाए जाते है. मैंग्रोव क्षेत्रों अति महत्वपूर्ण जीवों की सैकड़ों-सैकड़ों प्रजातियाँ पायी जाती है जैसे केकड़ो की लगभग 275 प्रजातियाँ. समुद्री मछलियों की अनेक प्रजातियाँ केवल मैंग्रोव क्षेत्रों तक ही सीमित और निर्भर रहती हैं.मैंग्रोव क्षेत्रों में छोटी मछलियों के जीवन के लिए अति आवश्यक भोजन तथा आश्रय प्राप्त होते है. मूंगे की चट्टानों (कोरल रीफ) में पाए जाने वाले तमाम जीवों के जीवन चक्र में मैंग्रोव क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. तटीय क्षेत्रों पर पायी जाने वाली मछलियों की संख्या पर मैंग्रोव वनों का प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण है.
मैंग्रोव की जड़े मछलियों के लार्वा तथा छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित आश्रय प्रदान करती हैं। मछलियों एवं अन्य अति महत्वपूर्ण समुद्री जीवों की कई ऐसी प्रजातियाँ हैं जिनका वयस्क जीवन तो सामान्यत: गहरे समुद्र तथा अन्य स्थानों पर गुजरता है किन्तु उनके बच्चे मैंग्रोव वनों में ही बड़े होते हैं. मैंग्रोव क्षेत्रों की स्वस्थ बहुतायत का मछलियों की संख्या से सीधा अनुपात देखने को मिलता है. मैंग्रोव क्षेत्रों में पायी जाने वाली मछलियों का इस वातावरण के तापमान तथा भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों के साथ अनुकूलन अति आवश्यक है. कुछ अति महत्वपूर्ण समुद्रीय प्रजातियों ने स्वयं को मैंग्रोव वनों के वातावरण के इतना अनुकूल बना लिया है कि मैंग्रोव वनों के बिना उन प्रजातियों की कल्पना ही नहीं की जा सकती
यह पुस्तक हमें श्री राजेंद्र जांगिड ने भेजी है ।
अवश्य पढ़ें ।
नोट: इस पुस्तक को नए सिरे से उपलब्ध करवा दिया गया है। अब इसे पढने में कोई मुश्किल नहीं आएगी।
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