उलझन श्री हरीश जोशी का कविता संग्रह है। इस कविता संग्रह में लघु कवितायेँ दी हुई है जो बहुत ही प्रभावकारी है। इसे दिल्ली से हमारे पाठक श्री दीपक बाबा ने भेजा है। दीपक, इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्। आशा है आपका सहयोग आगे भी बना रहेगा। दीपक जी का ख़ुद का भी एक ब्लॉग है।
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वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक, किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं। - आचार्य श्रीराम शर्मा

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रविवार, 11 अक्तूबर 2009
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