
यशपाल हिन्दी साहित्य में एक जाना पहचाना नाम है। वे स्वतंत्रता सेनानी रहे। बहुत साल जेल में गुजारे . उनकी शादी भी जेल में हुई। शायद यह भारत की पहली शादी थी जो जेल में हुई। जेल में ही उन्होंने अपना बहुत सा साहित्य रचा। जेल से बाहर आकर उन्होंने 'विप्लाव' पत्रिका शुरू की।
यशपाल (३ दिसंबर १९०३ - २६ दिसंबर १९७६) का नाम आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में प्रमुख है। ये एक साथ ही क्रांतिकारी एवं लेखक दोनों रूपों में जाने जाते है। प्रेमचंद के बाद हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में इनका नाम लिया जाता है। अपने विद्यार्थी जीवन से ही यशपाल क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े, इसके परिणामस्वरुप लम्बी फरारी और जेल में व्यतीत करना पड़ा । इसके बाद इन्होने साहित्य को अपना जीवन बनाया, जो काम कभी इन्होने बंदूक के माध्यम से किया था, अब वही काम इन्होने बुलेटिन के माध्यम से जनजागरण का काम शुरु किया। यश पाल को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
१२ घंटे उनका एक यादगार उपन्यास है।
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