
आपने चाणक्य नीति तो पढ़ी होगी। इस पुस्तक में उसी की तरह नीति सम्बन्धी कहावतें दी गई है। कुछ कहावतें कृषि से भी सम्बंधित है. सभी का हिन्दी में अनुवाद किया गया है।
ये सभी कहावतें उत्तर भारत में खूब प्रचलित है। ये कहावतें ज्ञान से भरपूर है। ये इंसान को जीवन में सफलता प्राप्त करने में बहुत सहयोग करती है।
आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान किसान कवि घाघ व भड्डरी की कहावतें खेतिहर समाज का पीढि़यों से पथप्रदर्शन करते आयी हैं। बिहार व उत्तरप्रदेश के गांवों में ये कहावतें आज भी काफी लोकप्रिय हैं। जहां वैज्ञानिकों के मौसम संबंधी अनुमान भी गलत हो जाते हैं, ग्रामीणों की धारणा है कि घाघ की कहावतें प्राय: सत्य साबित होती हैं।
इसी पुस्तक में से एक उदाहरण देखिये:
जो उधार लेकर कर्ज देता है, जो छप्पर के घर में में ताला लगता है और जो साले के साथ बहिन को भेजता है , घाघ कहते है कि इन तीनो का मुंह काला होता है।
या
हंसकर बात करने वाला ठाकुर(कोतवाल) और खांसने वाला चोर, घाघ कहते है कि इन ससुरो को गहरे पानी में डुबो देना चाहिए।
फाइल का आकार: 10 Mb
8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) :
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17 टिप्पणियां:
hindi kee bahuth achchi site dekhno ko milee.. Dhanyavaad...
Aapne Hindi ki Amulya Dharohar Muft me Logon ke Samne Prastut ki hai. Dhanyavaad...
aaj yahan aane par dil wakayi khus ho gaya. mai kaafi waqt se aisi site ko khoj raha tha, aur aaj mai isse paakar behad khus hu. aap sabka bahuut bahuut sukriya.
vattsyaan ki kaamsutra , aur umdaa shayaron ki shayari ki kitaab post karen , meharbaani hogi
hindi ka sanklan accha hai.logo ko law ki jankari bhi mile to accha ho.
mai ghag aur badri book download nahi kr paya hu. kyoki link kaam nahi kar rhe hai. kripya link check kar ke bataye.
dhanyawad
Aapne Hindi ki Amulya Dharohar Muft me Logon ke Samne Prastut ki hai. Dhanyavaad...
Aapne Hindi ki Amulya Dharohar Muft me Logon ke Samne Prastut ki hai. Dhanyavaad...
घाघ और भड्डरी की कहावतें file download problem.
घाघ और भड्डरी की कहावतें file download problem.
घाघ और भड्डरी की कहावतें plz link download de dani
घाघ और भड्डरी की कहाव how to download it plz help
download link kaam nahi kar raha
its ask only ilivid software downloading not for books. please clear the problem
महा कवि धाघ भड्डरी वस्तुतः जोशी भड्डरी जाति के ब्राह्मण थे၊ भृगुवंशी भद्र ऋषिके वंशज यानी भड्डर ऋषिके वंशज၊၊ भड्डर ऋषि ने ज्योतिष का प्रसिद्ध ग्रंथ भङ्डर संहिता लिखी थी၊ जिसे मेधमाला में कुछ अंश है၊ भद्र से भदर फिर भड्डर हुआ၊၊ भड्डरी एक प्राचीन जोशी जाति है၊၊ इनके बचन सत्प होते हैं၊ प्राचीन काल में ये जाति भड्डर ग्रंथ के सहारे ही किसानों को मौसम का पूर्वानुमान लगाकर तथा कृषि की विधि बताकर उनका मार्गदर्शन करके जीविका चलते थे, मध्य काल में इसी जाति में महाकवि घाघ का जन्म हुआ जिन्होने अपने पूर्वज ऋषि भद्र के मौसम ज्ञानको लोक भाषा में उपलब्ध कराया၊ उन्होने ही भङ्डरी के बचनों को लोक भाषा में पुनः प्रस्तुत किया၊ उन्होंने अपने वचन भी कहे वहाँ उन्होंने घाघ कहे कहा၊ भङ्ड रीके बचनों में कहा कि भङ्ड रीके हैं यही विचार अथवा तो ये भाखै भङ्ड री कहा၊၊
चेकहावतें या वचन पूरे देश में एक जैसे हैं၊ बस कवियों के नाम कुछ मिन्न है इन्हें कहीं घाघ, कही डाक, कहीं डंक कहा जाता है၊၊सव के जन्म की कहानी एक सी है၊
धाध भड्डरी को तथा इसकुल के सभी जोशी कहावत कारों को डाक पुरुष कहा जाता है तथा इनके कथन को डाक बचन ၊ कारण कि भारद या भड्डरी गोत्र डंक ऋषि वंशज ब्राह्मणों का एक गोत्र है जो भारद्वाज तथा भद्र ऋषि के नाम का अपभ्रंष है၊ भारद्वाज और भद्र ऋषि नाम का गोत्र एक ही कुल के ऋषियों के नाम पर है၊भद्र ऋषि का मूल उत्पत्ति गर्ग ऋषि से है और गर्ग ऋषि भारद्वाज के पुत्र माने जाते है ၊ यह वंश डंक ऋषि के कुल से संबंध के कारण डाक वंश अथवा डाकोत ब्राह्मण वंश कहलाया၊ डाकोत ब्राह्मण वंश में ऐसे ही अनेक ऋषि वंशजुड़े जो इस वंश के गोत्रकार हुए၊ झ ऋषियों के जो वंशज अन्य ब्राहमण समुदाय से जुड़े वहाँ भी इन गोत्रों के ब्राहमण पाए जाते हैं၊ अन्य ब्राह्मण समुदाय तथा दूसरे समुदायों में भी इन ऋषियों के नाम के गोत्र पाए जाते है၊ कुल और गोत्र में कहीं कहों अन्तर भी होता है၊ कई बार कुल और गोत्र एक होते हैं जबकि कहजगह गोत्र शिक्षा देने वाले गुरु आचार्य ऋषिके नाम पर होते हैं၊ इसी लिए कई वर्ण के गोत्र एक मिलते है၊ एक वंश में कई गोत्रकार होते हैं यह गुरुकुल पर आधारित गोत्र होते है၊ भारद्वाज कुल भी मिलता है और गुरुकुल गोत्र भी၊ जैसे भार्गव वंश भी है और अनेक वंशों का भार्गव गोत्र भी၊
इसी लिए कई बार ऋषि गोत्रकार के रूप में तो श्रेष्ठ माने जाते हैं किन्तु उनका वंश कई बार अके जैसा श्रेष्ठ न्हीं माना जाता၊ गर्ग गोत्रीय ब्राह्मण और गर्ग वंशी बाहमण इसका प्रमाण हैं၊
घा महाकवि घाघ जोशी भड्डरी नामक एक बाहमण जाति के थे । वे ज्योतिष की भड्डरी परम्परा के स्तंभ थे । उहोने अपने पूर्वज भद्र ऋषि की ज्योतिष परम्परा अर्थात नक्षत्र जोतिष और वर्षा ज्योतिष की शास्रीय परम्परा को लोक भाषा में प्रस्तुत करके लोकप्रिय बनाने का कार्य किया । यह भ्रामक है कि घाघ और भड्डरी दो व्यक्ति थे बल्कि सत्य यह है कि घाघ ही भड्डरी है अर्थात घाघ की जाति जोशी भड्डरी है । वे बार बार अपनी कहावतों में भड्डर भड्डरी जोशी भड्डर का प्रयोग करते है । घाघ कहे सुन भड्डरी कहते हुए अपनी समूची जोशी भड्डरी जाति समाज को ज्योतिष का निचोड बताते है । भद्र त्रषि ( भड्डर ऋृषि ) के शकुन विज्ञान को उद्धत करते है । यथा भड्डर ऋषि यह सगुन बतावे / सगरो काज सिद्ध होई जावे ।
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