वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक, किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं। - आचार्य श्रीराम शर्मा
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भला ईश्वरचंद्र विद्यासागर को कौन नही जानता ?
उनके बहुत सारे प्रेरक प्रसंग आपने भी पढ़े होंगे। वे सही मायने में एक महापुरुष थे। उनकी उदारता के किस्से बहुत मशहूर है। उन्होंने समाज हित में बहुत काम किए। प्रख्यात शिक्षाविद्, समाज सुधारक युग पुरुष ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म पश्चिम बंगाल के एक कुलीन निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ। आर्थिक संकटों का सामना करते हुए भी उन्होंने अपनी उच्च पारिवारिक परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखा। संकट के समय में भी वह कभी अपने सत्य के मार्ग से नहीं डिगे।
उनके जीवन की बहुत सी घटनाओ का रोचक वर्णन इस छोटी सी पुस्तक में किया गया है।
यह पुस्तक हर किसी के पढने लायक है। यह पुस्तक पढने में इतनी रोचक है कि आप एक बार शुरू करने के बाद इसे खत्म करके ही दम लेंगे ।साइज़: 3.5 mb
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महादेवी वर्मा हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। 1919 में इलाहाबाद में क्रास्थवेट कालेज से शिक्षा का प्रारंभ करते हुए उन्होंने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम ए की उपाधि प्राप्त की।
1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये 'पद्म भूषण' की उपाधि से अलंकृत किया। 'यामा' नामक काव्य संकलन के लिये उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ।
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इस पुस्तक में हिन्दी के प्रसिद लेखकों की कहानियों का संग्रह है। कुल २७ कहानियाँ इस पुस्तक में है।
हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ कहानी माने जाने वाली कहानी चंद्रधर शर्मा गुलेरी की "उसने कहा था " से लेकर सहादत हसन मंटो की कहानी "टोबाटेक सिंह " तक और जयशंकर प्रसाद की " आकाशदीप" से लेकर इंशा अल्ला खां द्वारा रचित "रानी केतकी की कहानी " भी इस संग्रह में है।
उम्मीद है आपको ये संग्रह पसंद आयेगा।
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गुलज़ार की त्रिवेणिया गुलज़ार साहब को कौन नही जानता। उनका अपना ही एक अंदाज़ है। देखिये-
सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी कीमुस्कराए भी, पुरानी किसी पहचान की खातिर कल का अखबार था, बस देख भी लिया, रख भी दिया। कुछ ऐसी ही त्रिवेणियों का संकलन है ये पुस्तक।
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ABCD उपन्यास रविंदर कालिया द्वारा लिखित एक बेहतरीन लघु उपन्यास है. इसमे पारिवारिक रिश्तों के ताने -बाने को ख़ूबसूरती से बुना गया है. एक बार पढ़कर अवश्य देखें.
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है और भी दुनिया में सुखनवर बोहोत अच्छे ,
कहते है कि ग़ालिब का है अंदाज़-ऐ-ब्याँ और। ग़ालिब उर्दू के महान शायरों में से एक है। इस किताब में उनके कुछ मशहूर चुनिन्दा शेर लिए गए है। उम्मीद है , आपको पसंद आएंगे ।
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आधुनिक हिन्दी कविता में डाक्टर जगदीश गुप्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म १९२४ में शाहाबाद हरदोई में हुआ।आपने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम।ए।, डी।फिल। की उपाधि प्राप्त की। आपको मैथिली शरण गुप्त सम्मान तथा श्री नारायण चतुर्वेदी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। आपने पचास से अधिक पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है।
आपका प्रबंध काव्य सांझ है । फाइल का आकार : 300 Kb8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) :
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रामधारी सिंह दिनकर (२३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४) भारत में हिन्दी के एक प्रमुख लेखक. कवि, निबंधकार थे। कवि दिनकर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रांत के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट कवि दिनकर की जन्मस्थली है। इन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। साहित्य के रूप में इन्होंने संस्कृत, बंग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था।
ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता रामधारी सिंह दिनकर स्वतंत्रता पूर्व के विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद
राष्ट्रकवि के नाम से जाने जाते रहे। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति की पुकार है, तो दूसरी ओर कोमल श्रृँगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें कुरूक्षेत्र और उवर्शी में मिलता है।
उनके साहित्य में वीर रस की प्रधानता है। आजादी से पहले उन्होंने देशभक्ति की भावनाओ से परिपूरन रचनायें लिखी। उनके प्रस्तुत महाकाव्य कुरुक्षेत्र में महाभारत के शान्ति पर्व का उल्लेख है।
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कनुप्रिया धरमवीर भारती की एक अमर कृति है।
लेखक के पिछले दृश्यकाव्य में एक बिन्दु से इस समस्या पर दृष्टिपात किया जा चुका है-गान्धारी, युयुत्सु और अश्वत्थामा के माध्यम से। कनुप्रिया उनसे सर्वथा पृथक-बिलकुल दूसरे बिन्दु से चल कर उसी समस्या तक पहुँचती है, उसी प्रक्रिया को दूसरे भावस्तर से देखती है और अपने अनजान में ही प्रश्न के ऐसे सन्दर्भ उद्घाटित करती है जो पूरक सिद्ध होते हैं। पर यह सब उस के अनजान में में होता है क्योंकि उस की मूलवृत्ति संशय या जिज्ञासा नहीं, भावाकुल तन्मयता है।
कनुप्रिया की सारी प्रतिक्रियाएँ उसी तन्मयता की विभिन्न स्थितियाँ हैं।
इसे हर साहित्य प्रेमी को अवश्य पढ़ना चाहिए।
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अंधायुग धरमवीर भारती की एक प्रसिद रचना है। महाभारत की १८ वीं संध्या से लेकर कृष्ण की मृत्यु के समय तक की ये गाथा अपने आप में एक एतिहासिक धरोहर है।
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संसार का प्रारम्भ अंक से ही हुआ है । इसलिए अंक का बड़ा महत्व है। अंक के बिना किसी भी कार्य का शुभारम्भ सम्भव नही है।
जो व्यक्ति अंको के रहस्य को जान लेता है, वो हमेशा सुखी जीवन बिताता है। ज्योतिष एवं अंक विज्ञानं में रूचि रखने वालो को ये पुस्तक अवश्य पसंद आयेगी।
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