नमस्कार ।
'अपनी हिंदी' में आपका स्वागत है।
'अपनी हिंदी' एक प्रयास है, हिन्दी साहित्य को आम आदमी तक पहुँचाने का।
'अपनी हिंदी' एक माध्यम है, हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार का।
'अपनी हिंदी' एक विश्वास है, हर एक हिन्दी-प्रेमी भारतीय का ।
यह ब्लॉग समर्पित है हमारे देश की राष्ट्र भाषा हिन्दी को ।
आज इन्टरनेट पर हर प्रकार की सामग्री उपलब्ध है पर हिन्दी साहित्य से सम्बंधित कोई सामग्री उपलब्ध नही है।जबकि हिन्दी के पाठक बहुत अधिक है. हमारा ये ब्लॉग इसी कमी को दूर करने का एक प्रयास है ।
हमारा लक्ष्य हिन्दी भाषा से सम्बंधित साहित्य पाठको को उपलब्ध करवाना है जो कि internet पर उपलब्ध नही है। जैसे कि उपन्यास, कहानियाँ, पत्रिकाएं और इसके अलावा विभिन् शेर-ओ-शायरी , चुटकुले एवं लेख भी उपलब्ध करवाए जायेंगे ।
श्री बाबुराम सक्सेना ने कहा है - "हिंदी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है।"
इस ब्लॉग में आपको हिन्दी साहित्य से सबंधित दुर्लभ पुस्तकें डाउनलोड करने की सुविधा मिलेगी और वो भी बिल्कुल मुफ्त!
हम चाहते है कि हम दुर्लभ हिन्दी साहित्य को हिंदुस्तान के घर-घर तक पहुंचाएं। इसके लिए हमें आप जैसे पाठकों के सहयोग और विश्वास की जरूरत है। आखिर 'अपनी हिंदी'आपका ही तो है, आपके लिए ही तो है। आज अगर इन्टरनेट पर 'अपनी हिंदी' हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम है तो उसके पीछे आप लोग ही है। हम तो बस निमित मात्र है।
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और हाँ , अपने कमेंट्स के द्वारा हमारा उत्साह बढ़ाना न भूलियेगा। आपका साथ हमारा उत्साह बढ़ाएगा । आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि हज़ार मील का सफर भी एक कदम से ही शुरू होता है। पहला कदम हमने बढ़ा दिया है, आगे का सफर आपकी मर्ज़ी पर ।
तो आनंद लीजिये हमारी इस नई पेशकश का !
जय हिन्दी, जय भारत !
हिंदी पर भारतेंदु हरिश्चंद्र की ये रचना पठनीय है:
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।
अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन ।
उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय
निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय ।
निज भाषा उन्नति बिना, कबहुं न ह्यैहैं सोय
लाख उपाय अनेक यों भले करे किन कोय ।
इक भाषा इक जीव इक मति सब घर के लोग
तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग ।
और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात
निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात ।
तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय
यह गुन भाषा और महं, कबहूं नाहीं होय ।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार ।
भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात
विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात ।
सब मिल तासों छांड़ि कै, दूजे और
उपायउन्नति भाषा की करहु, अहो भ्रातगन आय ।
- प्रबंधक ।
42 टिप्पणियां:
mahodaya, yadi aap sanskrit k granth bhi apne blog per dena chahe to mai apko oplabdh krwa sakta hu. meri email id hai pariharpradeep@rocketmail.com
Hindi ke liye aapka samrpan vastav me prerna dayak hai.
par aap hai kaun.. AAP ka blog me koi Picture, adress Kuch bahi nahi,, Please apna ek pic to bej dijiye sahab.
Dhanyawad,
Appka prayas vakai sarahniya hai. Kripya dharmik aur Takniki pustako ka bhi link dijiye. Agar app mere blog ko dekh kar apne vichar prakat kare to khushi hogi..
www.dharm.co.cc
www.itgyan.co.cc
Dear sir,
You have selected a very simple, touching and excellent name for this fantastic site.Congretulations.
Some days before a poll was conducted to include or not to include novels of Pathak/Vedprakash Sharma.What is the verdict?Pleae inform.
sir mere paas hindi ki kuch books haijaise premchand ki godan
ek do comics hindi me
mere email id: junaid.aalia@gmail.com
Hallo! महोदय...
"अपनी हिंदी" में हमने सदस्य तो प्राप्त कर लिया है...
किन्तु हम इस हिंदी बचाओ अभियान में सम्मिलित होना चाहते है आपने पास जो पुस्तक है उसे भेजकर ....
हमारे पास "घनान्द : काव्य और आलोचना" यह पुस्तक है...
इसे कैसे भेज सकते है..कृपया यह विधि बताएं...
main aapki website se bahut prabhavit hu..iske karan hi mujhe kai acchi pustake prapt hui hai..appke hindi ko badava dena ka prayas sarahniya hai
mai bahut dino se aisi hi site search kar reha tha,maaine bahut si kitabein nahi padhi thi,jo yaha uplabdh hai,kripya maithli saran gupt ki kitabe prakashit kare
ye prayash bahut achha hai,
आपका ब्लॉग हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने की दिशा में एक बहुत ही सार्थक प्रयास है , बहुत बहुत शुभकामनाये.
Bahoot hi accha sangrah hai. isse bahoot sare hindi pustak premit labh utha rahe honge, ekdam sulabh suvidha hai.
par lajja ko download kiya to padhne ke liye password ki mang aii isliye enka password kaise prapt kare kripya yah batane ka kast kare
Very good sir ! Keep it up :)
Dear Editor,
First of all very thanks for your dedication to our native language.i am shame on myself, i cant write these words in Hindi(actually i dont know how to write these using keyboard).my hats off for your kind selfishness dedication...
Ashutosh.misranuc@gmail.com
Hi,
I was searching such site since long time. I would like to thank those who initiated this.
Sandeep
main website developer hu... aur is site ko dekh kar kafi khushi mili..
हमे हिंदी के सतत विकास के लिए पूरे मन से लगे रहना होगा सफलता इसी में हासिल होगी जय हिंदीं
मुझे आपकी साईट देखकर बहुत ही अच्छा लगा. मैं यहाँ शिकागो के जैन मंदिर में हिंदी पढाता हूँ और हिंदी के विकास के लिए प्रयत्नशील हूँ. इसीलिए आपकी 'अपनी हिंदी' वेबसाइट देखकर अत्यधिक ख़ुशी हुई. आपके प्रयास सराहनीय हैं, और मैं इसमें योगदान करना चाहता हूँ. कृपया संपर्क करें. दिनेश@आगामी.नेट पर.
hallo good very good
श्रीमान्
"यह ब्लॉग समर्पित है हमारे देश की राष्ट्र भाषा हिन्दी को।"
अरे वाह तो हिंदी राष्ट्रभाषा बन गई और हमें पता तक नहीं चला। हिंदी के नाम पर हिंगलिश के किसी चैनल पर भी न देखा न किसी रेडियो या एफ एम पर सुनी यह ख़बर, आपको कहां से मिली जरूर बताएं
बंधु अभी तो राजभाषा बनने के लिए सभी राज्यों की विधानसभाओं से राजभाषा "हिंदी" को बनाने का प्रस्ताव मिला ही नहीं है संसद को, फिर संसद फैसला लेगी, न 9 मन तेल होगा न राधा नाचेगी, तमिलनाडू, मेघालय, केरल व कश्मीर की तो छोड़ो राजस्थान दिल्ली पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र ने भी अभी तक समर्थन में प्रस्ताव नहीं दिए हैं राष्ट्रभाषा नहीं राजभाषा के लिए सोचो यह दिल्ली दूर है बहुत बहुत बहुत
पर अच्छा लगा कि सरल लोग इसे यानि हिंदी को राष्ट्रभाषा कह तो रहे हैं चाहे हो या नहीं 22 भाषाएं संविधान की 8 वीं अनुसूची में हैं जिनमें एक हिंदी है 8-10 भाषा वाले और जोर मार रहे हैं इस सूची में आने के लिए यानि 1/30 राष्ट्रभाषा का हक तो हिंदी को है ही। यह बात जरूर है कि हमारे प्रधानमंत्री कह रहे हैं हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा हम बनवा देंगे यानि अंतर्राष्ट्रीय भाषा, हिंदी जो देश में नहीं लागू कर सके हम 60 साल बाद भी, उसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व हिंदी दिवस मनाने हम विदेश जाएंगे अपने हिंदी सेवियों के साथ इसे क्या कहेंगे पाठकगण बेहतर जानते हैं
वेद विभु जी यदि उक्त भाषा के चाहने वाले अपनी खुशी के लिये अपनी भाषा को राष्ट्रभाषा ही नहीं ब्रह्माण्डभाषा कहें तो खुश रहने दीजिये ये दिल्ली की ओर बढ़ तो चले हैं आप टाँग मत खींचिये।
HINDI ME PURAN KA PDF NAHI HO RAHA HE...........AAP SABI KO THANKU
bahut acha hai
usha priamvada hindi lekhika(upanyash) ji ke bare me kisi bi saksh ko pata ho to kiripya jankari de...........damini nirmalkar
बहुत अच्छा लगता मुझे आपकी पुस्तकें पढ़कर l
इसी तरह से आप पूरे देश को ज्ञान देते रहें l
धन्यवाद् l
muze chandrakant author books saransh chahiya
निःसंदेह एक सराहनीय प्रयास.....
Namskar,
Hame bahut hi dukh ke sath kahna pad raha hai ki mai "APNI HINDI" ka sadasya banne ka bharpur koshish ki lekin saflata hasil nahi hua.
Mera matlab "HAMARE PARSHANSHK" pe click karne ke babjud bhi sadsya banne ya banane ka koi bhi option nahi aaya.
Hum aapse dil se anurodh karte hai ki aap mere mail id pe apna link jarur bhejen. Mera Mail id hai:-praso89@in.com
Dhanyabad
Prabhakar Kumar
india ka naam roshan hai sir aap jaisey samarpit logon k karan,best of luck.nice website
I would like to convey my Very sincere gratitude for your hindi promotion.
कृपया प्रेमचन्द जी का गोदान उपन्यास के बारेँ मेँ भी बताएँ। मेरा ईमेल आईडी है -jitendrak18@rediffmail.com
बहुत अच्छा प्रयास, ईस प्रयास को कभी कम मत करीयेगा और बाकी हमारा साथ तो आपके साथ रहेगा ही|
कुछ लोग कमेंट मे कह रहे हैं की रास्ट्र/राज्य भाषा के बारे मे, मै उनको बता देता हूं की अगर रास्ट्रभाषा होगा तो वो हिन्दी ही होगा क्यों की एसा संवीधान मे भी लिखा है|
भारत का स्टैंडर्ड भाषा हिन्दी है और कोर्ट, आदी मे ईसी का ईस्तेमाल होता है लेकीन राज्य अपने भाषा का भी ईस्तेमाल कर सकते हैं, ईसपर किसी को लडना नही चाहीए क्यों की 41% लोग हिन्दी बोलते हैं और अन्य भाषा बटे हुवे हैं ईसलिए प्राथमिकता हिन्दी को ही मिलेगा, आपलोगो का कमेंट भी हिन्ी मे ही है|
सुन्दर प्रयास है यह ..राष्ट्र भाषा के लिए आप जैसे चाहने वाले लोग जो कुछ कर रहे हैं, व सबके लिए अनुकरणीय है...
ye bhut bhut best site hai me to kabhi soch bhi nhi skat tha ki aisi bi koi site hogi jha hinid sahitya ka aseem sagar hai......thanks to you...for this great work
hindi se humara gourav hai. hindi ke karan hi hum hindustani & humara desh hindustan hai . i love you hindi. jai hind
hindi ke liye kiya gaya ek sarhaniya pryas dhyanwad.
for religious travel pls visit www.aachman.com
koti koti dhyanwad
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Namskar,
Apne ye bahut hi acha samadhan kiya hai... Hindi priye logo ke liye... Or aap se gujarish hai ki aap mujhe kuch safal Business Women or Man ki Jeenvni or kuch prenna dayak kitabe send kare... Ex. Shri G. D Birla Or TATA ke , Shri Jamshed ji TATA ki Jeevni send kar sakte hai to apki bahut aabhari rahungi,,, or kuch Kamyab Logo ki Jeevniya.. Or Kamyabi wali kuch books send kar sakte hai... Jis se mai kuch Prenna le ke aage badh saku.... meri Id hai.. alishagautam0027@gmail.com
Dhanyewad .......
मैं अपनी कुछ किताबे इस साईट पर उपलब्ध करना चाहता हूँ जिन्हें मैंने कृति देव या कुंडली फॉण्ट में टाइप किया है. इन्हें किस फॉण्ट में भेजना होगा कृपया मार्गदर्शन करें.
बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप. धन्यवाद.
Blog:
http://behtarlife.blogspot.in
rapidshare link se kai books download nahi ho pa rahi hai
Kripaya mujhe aap in he uplabdh karwa den . aapki bahut kripa hogi .
Merit email I'd hai . rajvikram2702@gmail.com . please contact me .
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