वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक, किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं। - आचार्य श्रीराम शर्मा
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किताबघर में पेश है
शरत चन्द्र की कहानी - तस्वीर । ये एक प्रेम कथा है। प्रस्तुत कहानी में शरत चन्द्र की कलम का जादू अपने पूरे चरम पर है। अवश्य पढ़ें।
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किताबघर के पाठकों के लिए आज प्रस्तुत है -
हिन्दू धर्म की पवित्र धार्मिक पुस्तक - गीता ।
गीता के समान उपयोगी पुस्तक इस दुनिया में दूसरी नहीं है। ये पुस्तक मनुष्य को कर्म करने की शिक्षा देती है । ये पुस्तक सिर्फ भारत ही नहीं, दुसरे देशों में भी लोकप्रिय है। देश - विदेश के कितने ही लोगों ने इसे पढने के लिए हिंदी सीखी है। इस पुस्तक का अनुवाद संसार की बहुत सी भाषाओँ में हो चूका है।
प्रस्तुत पुस्तक गीता प्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित है। पुस्तक मोटे अक्षरों में छापी गई है और छपाई भी बहुत सुन्दर है।
ये पुस्तक भी हमें
श्री प्रशांत सिंह ने भेजी है जो हमारे नियमित पाठक है। प्रशांत जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद् ।
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किताबघर के पाठकों के लिए आज प्रस्तुत है - ईसाई धर्म की पवित्र धार्मिक पुस्तक बाईबल का अन्य हिंदी संसकरण ।
ये पुस्तक भी हमें
श्री प्रशांत सिंह ने भेजी है जो हमारे नियमित पाठक है। प्रशांत जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद् ।
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किताबघर के पाठकों के लिए आज प्रस्तुत है - ईसाई धर्म की पवित्र धार्मिक पुस्तक - बाईबल का हिंदी संसकरण ।
ये पुस्तक हमें
श्री प्रशांत सिंह ने भेजी है जो हमारे नियमित पाठक है। प्रशांत जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद्।
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किताबघर में इस बार प्रस्तुत है -
हरियाणा लोकमंच की कहानियां ।
हरियाणा के समाज में प्रचलित ये कहानियां बहुत मनोरंजक और शिक्षाप्रद है। ये कहानियां पाठक को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है।
आशा है, पुस्तक आपको पसंद आएगी।
पृष्ठ : १५०
फाइल का आकार : ११ MB
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शरत चन्द्र का भारतीय उपन्यास लेखकों में सर्वोच्च स्थान है. उन्होंने अनेक श्रेष्ठ उपन्यासों की रचना की है.
चन्द्रनाथ शरत चन्द्र का एक मार्मिक उपन्यास है। इसमें शरत चन्द्र ने पारिवारिक संबंधो के ताने-बाने को ख़ूबसूरती से बुना है। अवश्य पढ़ें ।
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प्रिय दोस्तों,
जयपुर से हमारे नियमित पाठक श्री राजेश शर्मा,
जिनकी इ-
मेल हमें लगातार मिलती रहती है,
पिछले कई दिनों से हमें हिंदी कहानियों की कोई पुस्तक उपलब्ध करवाने के लिए कह रहे थे । इसलिए उनकी फरमाइश पर इस बार किताबघर में पेश है कहानी संग्रह -
हिंदी की अमर कहानियां ।
इस पुस्तक में हिंदी के नामचीन लेखकों की १२ प्रसिद्ध कहानियां दी गयी है। जैसे :
पुरस्कार - जयशंकर प्रसादचोर - जैनेन्द्रसुजान-भगत - प्रेमचंदएल्बम - श्री सुदर्शनअशिक्षित का ह्रदय - श्री विशम्भर नाथ कौशिककानों में कंगना - श्री राजा राधिका रमण प्रसाद सिंहबैल की बिक्री - श्री सियारामशरण गुप्तदो बांके - श्री भगवती चरण वर्माजय-बोल - अज्ञेयतीन सौ चौबीस - उपेन्द्रनाथ अश्ककुत्ते की पूंछ - यशपालद्वन्द - विष्णु प्रभाकर8 डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) :
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पेश है -
भारतीय लिपियों की कहानी। इस पुस्तक में भारतीय लिपियों के उद्भव और विकास की कहानी दी गयी है। अशोक के अभिलेखों की लिपि, गुप्त काल की लिपि, सिन्धु लिपि , नागरी लिपि, अरबी लिपि इत्यादि के बारे में प्रमाणिक और सटीक जानकारी दी गयी है। यह पुस्तक हर भारतीय को अवश्य पढनी चाहिए।
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प्रिय पाठकों,
इस बार किताबघर में पेश है - आधुनिक पंजाबी कहानियां। इस कहानी संग्रह में पंजाबी के प्रसिद्ध लेखकों जैसे - अमृता प्रीतम, गुरदयाल सिंह, जसवंत सिंह विर्दी, अजीत कौर आदि की श्रेष्ठ कहानियां हिंदी में दी गयी है।
अवश्य पढ़ें।
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प्रिय पाठकों,
पिछले कुछ दिनों से हमें ये शिकायत मिल रही थी कि हम जो डाउनलोड लिंक rapidshare पर उपलब्ध करवाते है, उस पर फाइल डाउनलोड करना बहुत मुश्किल हो रहा है । इसलिए एक से अधिक डाउनलोड लिंक उपलब्ध करवाएं जायें।
आप सभी की फरमाइश को ध्यान में रखते हुए हमने ये निर्णय लिया है कि आगे से सभी डाउनलोड लिंक एक से अधिक वेबसाइट पर उपलब्ध करवाए जायें।
आशा है , आपको हमारा ये प्रयास पसंद आएगा।
धन्यवाद्,
प्रबंधक।
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प्रिय पाठकों,
इस बार किताबघर में पेश है-
गोपाल सहस्त्रनाम की पुस्तकगोपाल सहस्त्रनाम की ये पुस्तक हमें
श्री अशोक मेहता ने भेजी है। उनके शब्दों में "मुझे किसी विद्वान् ने बताया था गोपाल सहस्त्रनाम का बहुत महत्व है . इसके बारे में कहा जाता है कि विष्णुसहस्त्रनाम का जो पाठ करते हैं उनको मोक्ष कि प्राप्ति होती है परन्तु जो भोतिक संसार में लक्ष्मी तथा धन ,वैभव,आदि की प्राप्ति चाहते हैं. वे यदि गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं तो उनको इसका प्रत्यक्ष लाभ देखने को मिलता है ."
आपका बहुत- बहुत धन्यवाद्।
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प्रिय पाठकों,
माँ दुर्गा के भक्तों के लिए इस बार किताबघर में प्रस्तुत है -
दुर्गा सप्तशती । आशा है आपको ये पुस्तक पसंद आएगी। इसे श्री अशोक मेहता ने भेजा है। उनका धन्यवाद्।
किताबघर रेटिंग: ५/५डाउनलोड लिंक:कृपया यहाँ क्लिक करें
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जातक वा जातक पालि वा जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का सुत्तपिटक अंतर्गत खुद्दकनिकाय का १०वां पालि वा भाग है। इन कथाओं में महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं। विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियाँ जातक कथाएँ हैं जिसमें लगभग 600 कहानियाँ संग्रह की गयी है। यह ईसवी संवत से 300 वर्ष पूर्व की घटना है। इन कथाऔं मे मनोरंजन के माध्यम से नीति और धर्म को समझाने का प्रयास किया गया है।
जातक कथाओं के बारे में कौन नही जानता। ये व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करती है। और हमें बहुत सी बातें सिखाती है। अवश्य पढ़ें।
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किताबघर में इस बार पेश है
डॉ महेंद्र भटनागर का कविता संग्रह - काल-पृष्ठ पर अंकित ।
इसे ख़ुद डॉ महेंद्र भटनागर ने हमें भेजा है।इसके लिए उनको धन्यवाद्। इसमे कुल ३०० से ज्यादा कवितायेँ दी गई है। आशा है आपको पसंद आएगी।
डॉ महेंद्र भटनागर के बारे में और अधिक जानकारी पाने के लिए देखें:
www.professormahendrabhatnagar.blogspot.com
www.kavitakosh.org/mbhatnagar.htm
www.blogbud.com/drmahendrabhatnagar
www.poetrypoem.com/mpb1
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भाग 1
भाग 2
भाग 3
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दोस्तों,
इस बार किताबघर में पेश है जयशंकर प्रसाद की कहानियों का एक और
संग्रह -
छाया। पिछली बार जो कहानी संग्रह हमने प्रकाशित किया था, उसे पढ़कर कुछ पाठकों ने अनुरोध किया था कि जयशंकर प्रसाद का एक और कहानी संग्रह उपलब्ध करवाया जाए। उन्ही की मांग पर ये कहानी संग्रह प्रस्तुत किया जा रहा है। आशा है आपको पसंद आएगा। कृपया अपने कमेंट्स जरूर दें।
किताबघर रेटिंग: ५/५
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जयशंकर प्रसाद की हिन्दी कहानियाँ बहुत प्रसिद्ध है। आप हिन्दी के मूर्धन्य लेखक रहे है। प्रस्तुत है आपकी कुछ कहानियों का संग्रह - आंधी। इस संग्रह में आपकी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ शामिल की गई है। आशा है आपको ये कहानियाँ पसंद आएगी।
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दोस्तों,
इस बार किताबघर में पेश है आप सभी के लिए
शरत चंद्र का महान उपन्यास - बैकुण्ठ का विल .
बैकुण्ठ का विल शरत चंद्र की एक प्रसिद्ध रचना है जो पाठकों का भरपूर मनोरंजन करती है। इसमे मानवीय रिश्तों और तत्कालीन समाज को बखूबी उकेरा गया है।
फाइल का आकार: 5 Mb
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पेश है आप सभी के लिए
महादेवी वर्मा की लोकप्रिय पुस्तक - मेरा परिवार।महादेवी वर्मा का पशु-प्रेम जग-जाहिर है। इस पुस्तक में महादेवी जी ने उत्कृष्ट कहानियों का संकलन किया है। यह सभी कहानियाँ वन्य जीवन पर आधारित है।
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प्रिय दोस्तों,
एक बार फिर हम आपके लिए लेकर आये है -शरत चंद्र का एक और उपन्यास। पंडित जी शरत चन्द्र का एक लोकप्रिय उपन्यास है। आशा है, आपको पसंद आएगा।
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प्रिय पाठकों,
इस बार किताब घर में प्रस्तुत है हास्य-व्यंग्य पर आधारित
पुस्तक - अपने - अपने इरादे। बहुत ही मनोरंजक पुस्तक है।
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आज हम पेश कर रहे है भारत के जाने माने लेखकों की कहानियों का संग्रह -
कहानी नई- पुरानी। इसमें दी गयी सभी कहानियां मनोरंजक और ज्ञानवर्धक है।
अवश्य पढ़िए।
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शरद जोशी भारत के जाने माने व्यंगकार है। आरम्भ में कुछ कहानियाँ लिखीं , फिर पूरी तरह व्यंग्य-लेखन ही करने लगे। इन्होंने व्यंग्य लेख, व्यंग्य उपन्यास, व्यंग्य कॉलम के अतिरिक्त हास्य-व्यंग्यपूर्ण धारावाहिकों की पटकथाएँ और संवाद भी लिखे। हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा दिलाने प्रमुख व्यंग्यकारों में शरद जोशी भी एक हैं। इनकी रचनाओं में समाज में पाई जाने वाली सभी विसंगतियों का बेबाक चित्रण मिलता है।
'जादू की सरकार' में उनके कुछ प्रसिद्ध व्यंग्य लेख दिए हुए है।आशा है, आपको पसंद आयेंगे।
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समकालीन भारतीय कलाकारों में चित्रा मुद्गल का विशिष्ट स्थान है। आज जबकि अधिकतर कथाकार उपन्यास लेखन से जुड़े हैं, चित्राजी का कथाकार कहानियों के प्रति विशेष रूप से समर्पित है। उनकी कहानियाँ ऊपरी तौर से भले ही किसी वाद या राजनीतिक प्रतिबद्धता का शोर नहीं करतीं, पर दरअसल वे मानवीय सरोकारों से गहरई से जुड़ी हैं।
महिमा कथाकारों पर जिस तरह के सीमा संकेत किए जाते हैं, चित्राजी उन सभी सीमाओं का अतिक्रमण सहज रूप में इसलिए कर सकी हैं कि वे जिस कुशलता से घर, परिवार और संबंन्धों को कथात्मक सौंदर्य में बाँधती हैं उसी कुशलता से घर के बाहर निकलकर एक्जीक्यूटिव क्लास, विज्ञापन की चकाचौंध भरी दुनिया दफ्तरों और फ्रीलांसरों की जिन्दगी तथा साथ-साथ निम्न वर्ग की उस दबी-पिसी जिंदगी के आर्थिक दबावों और तनावों को भी रेखाकिंत करने में सफल हुई हैं, जो अपने आपमें स्थितियों में जीने को मजबूर हैं।
इस संग्रह की अधिकतर कहानियों के पात्र भावुकता की तर्कहीन नदी में न बहकर आर्थिक दबावों के यथार्थ को स्वीकार करते हुए ही अधिक प्रभावपूर्ण बनते हैं। आर्थिक दबावों का सीधा प्रभाव आज जिस तेजी से हमारे समाज पर पड़ रहा है उसे वैविध्यपूर्ण कथ्य और शिल्प के साथ-साथ भाषा के स्तर पर प्रस्तुत करने में चित्रा मुदगल की सजगता उल्लेखनीय है। दरअसल, यह संग्रह चित्राजी के कथा-लेखन में आए उस रचनात्मक बदलाव का दस्तावेज है, जो बहुत कम कथाकारों को मिलता है।
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देवी चौधरानी बंकिम चंद्र का एक सर्वकालिक महान उपन्यास है। इसमें एक निष्ठावान नारी की मर्मस्पर्शी कथा दी गयी है । अवश्य पढ़ें।
पुस्तक के कुछ अंश:हां, मैं सागर हूं। गंगा नहीं, यमुना नहीं, ताल नहीं, तलैया नहीं—साक्षात् सागर हूं। तुम्हारा दुर्भाग्य है न ? जब दूसरे की औरत समझा तो पैर बड़े मजे से दबा रहे थे और जब घर की औरत ने पैर दबाने को कहा तो बहुत क्रोधित होकर चले गए। खैर, मेरा वचन पूरा हुआ और तुम्हारा भी। तुमने मेरे पैर दबा दिए, अब मेरा मुंह देख सकते हो। चाहे अब चरणों में रखो या त्याग दो। देख लिया न, मैं वास्तव में ब्राह्मण की बेटी हूं।
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बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं। उनकी लेखनी से बंगाल साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है, हिन्दी भी उपकृत हुई है। उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि पिछले डेढ़ सौ सालों से उनके उपन्यास विभिन्न भाषाओं में अनूदित हो रहे हैं और कई-कई संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। उनके उपन्यासों में नारी की अन्तर्वेदना व उसकी शक्तिमत्ता बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त हुई है। उनके उपन्यासों में नारी की गरिमा को नयी पहचान मिली है और भारतीय इतिहास को समझने की नयी दृष्टि।
वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे। वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं।
विषवृक्ष बंकिम चंद्र का एक मशहूर उपन्यास है। यह नारी की अंतर्वेदना पर आधारित उपन्यास है।
पुस्तक के कुछ अंश:यह सुनते ही कुंद की मां के कारुणिक चेहरे पर गंभीरता छा गई, किंचित रोष, मगर मृदु स्वर में बोली, ‘बेटी, जो तुम्हारी इच्छा हो, वही करो। मेरे साथ चलती हो तो अच्छा करती हो। बाद में तुम उस नक्षत्र-लोक की तरफ देखकर वहां आने के लिए तड़पती रहोगी। मैं एक बार फिर तुम्हारे पास आऊंगी। जब तुम मनः पीड़ा से व्याकुल होकर मुझे याद करोगी और मेरे साथ चलने को रोओगी, तब मैं तुम्हारे पास आऊंगी। तब तुम मेरे साथ चल पड़ना। इस समय तुम ऊपर ताक कर देखो, जहां मैं उंगली से इशारा कर रही हूं। वहां तुम्हें दो मानव-मूर्तियां नजर आएंगी। यही दो मानव इहलोक में तुम्हारे शुभ-अशुभ का कारण बनेंगे। यदि हो सके तो देखते ही उन्हें विषघर मानकर उनसे दूर भाग जाना। वे दोनों जिस राह से जाएं, उस राह से मत जाना।
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उलझन श्री हरीश जोशी का कविता संग्रह है। इस कविता संग्रह में लघु कवितायेँ दी हुई है जो बहुत ही प्रभावकारी है।
इसे दिल्ली से हमारे पाठक श्री दीपक बाबा ने भेजा है। दीपक, इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्। आशा है आपका सहयोग आगे भी बना रहेगा। दीपक जी का ख़ुद का भी एक
ब्लॉग है।
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अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल एक महान देशभक्त और क्रांतिकारी थे। यह पुस्तक उनके जीवन पर प्रकाश डालती है। अवश्य पढ़ें।
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पिछले दिनों जोशी जी के चुने हुए हास्य व्यंग्य लेखों का संग्रह है। जोशी जी भारत के जाने माने व्यंग्यकार
है।
शरद जोशी भारत के जाने माने व्यंगकार है। आरम्भ में कुछ कहानियाँ लिखीं , फिर पूरी तरह व्यंग्य-लेखन ही करने लगे। इन्होंने व्यंग्य लेख, व्यंग्य उपन्यास, व्यंग्य कॉलम के अतिरिक्त हास्य-व्यंग्यपूर्ण धारावाहिकों की पटकथाएँ और संवाद भी लिखे। हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा दिलाने प्रमुख व्यंग्यकारों में शरद जोशी भी एक हैं। इनकी रचनाओं में समाज में पाई जाने वाली सभी विसंगतियों का बेबाक चित्रण मिलता है।
अवश्य पढ़े।
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यह पुस्तक अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी के ऊपर लिखी गई है। हर भारतीय के पढने लायक यह पुस्तक विद्यार्थी जी के देशप्रेम और उच्च जीवन मूल्यों की एक मिसाल है।
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प्रेत की छाया प्रसिद्ध लेखक ज्योतिन्द्रनाथ का कहानी संग्रह है। इनकी कहानियाँ पाठकों को कल्पना के अनोखे संसार में ले जाती है जहाँ उसका सामना रहस्य, रोमांच, डर, खुशी, उत्साह जैसे मानवीय संवेगों से होता है।
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चंद हसीनाओं के खतूत एक रोमांस और हास्य-व्यंग्य से परिपूरन पुस्तक है। इसमे ख़त के रूप में रोमांटिक कहानियाँ दी गई है जो इसे पढने में रोचक और मजेदार बनती है। अवश्य पढ़ें।
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भूल एक हास्य प्रधान नाटक है। इसमे दो युवको की कहानी दी गई है। एक युवक जिसकी शादी बचपन में हुई थी, पहली बार अपनी पत्नी को लाने ससुराल जाता है. फिर क्या होता है? पढिये इस किताब में......
महाकवि गुलाब खंडेलवाल (Gulab Khandelwal) का जन्म अपने ननिहाल राजस्थान के शेखावाटी प्रदेश के नवलगढ़ नगर में २१ फरवरी सन् १९२४ ई। को हुआ था।
महाकवि गुलाब खंडेलवाल की कुछ पुस्तकें महाविद्यालयों के शिक्षण-पाठ्यक्रमों में भी रह चुकी हैं जो इस प्रकार हैं -
१. ’आलोक-वृत्त’- खंडकाव्य- १९७६ से उत्तर प्रदेश में इंटरमीडिएट बोर्ड में पाठ्यक्रम में स्वीकृत है.
२. ’उषा’- महाकाव्य - मगध विश्वविद्यालय के बी.ए. के पाठ्यक्रम में १९६८ से कई वर्षों तक रहा.
३. ’कच-देवयानी’-खंडकाव्य- मगध विश्वविद्यालय के बी. ए. कोर्स में था.
४. ’आलोक-वृत्त’-खंडकाव्य- १९७६ से मगध विश्वविद्यालय के बी. ए. के कोर्स में था.
महादेवी वर्मा ने एक बार अफ़सोस जताते हुये कहा, "आपके साथ हिन्दीवालों ने न्याय नहीं किया!" उनके काव्य-पाठ को सुनकर वे बोलीं, "मेरे आँखों के सम्मुख एक-एक कर चित्र आते जा रहे थे." स्पष्टतः उनका संकेत गुलाबजी के काव्य की बिम्बात्मकता की ओर था.
"आपका ’बलि-निर्वास’ खूब है। मैंने और पंतजी ने उसे अत्यन्त चाव से पढ़ा है। हम दोनों आपके परम प्रशंसक हैं."-
हरिवंश राय बच्चन"भाव और भाषा का इतना सुन्दर सामन्जस्य कदाचित ही हिन्दी के किसी कवि ने इस अवस्था में ऐसा किया हो." -
श्री बेढब बनारसी
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अलादीन का जादुई चिराग अंग्रेजी उपन्यास 'one thousand nights' का हिन्दी रूपांतर है। इसमे अलादीन की कहानी को नए ढंग से प्रस्तुत किया गया है। किताब पढने में दिलचस्प है।
किताबघर रेटिंग: ५/५
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मंझली बहन शरत चंद्र का एक रोचक और मार्मिक उपन्यास है। उपन्यास में बताया गया है कि एक नारी चाहे तो किसी गैर को भी अपना सकती है और चाहे तो किसी अपने को भी पराये जैसा बना सकती है,
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परिणीता शरत चंद्र का एक मशहूर उपन्यास है। इस पर एक हिन्दी फ़िल्म भी बन चुकी है। पुस्तक में भारतीय समाज में नारी की स्थिति का वर्णन किया गया है।अत्यन्त मार्मिक और रोचक उपन्यास है।
अनुरोधकर्ता:जबलपुर से सोमेश गुप्ता,
पटना से अजीत कुमार,
राजगढ़ से राजेश हांडा
और सिरसा से रणवीर हुड्डा।
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प्रेमकांता संतति - पहला भाग (शम्भूप्रसाद उपाध्याय)
चंद्रकांता उपन्यास की लोकप्रियता के बाद ऐयारी और तिलिस्म पर आधारित कई उपन्यास लिखे गए। इनमे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ था- शम्भूप्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित प्रेमकांता और प्रेमकांता संतति।
इस उपन्यास को कुल ५ भागों
में बांटा गया है ।
किताबघर रेटिंग: ४.५/५
इसकी फरमाइश करने वाले थे:
जयपुर, राजस्थान से अमित शर्मा
रोपड़, पंजाब से अमरजीत सिंह
और नई दिल्ली से सुचित्रा पाण्डेय ।
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चंद्रकांता उपन्यास की लोकप्रियता के बाद ऐयारी और तिलिस्म पर आधारित कई उपन्यास लिखे गए। इनमे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ था-
शम्भूप्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित प्रेमकांता और प्रेमकांता संतति।इस उपन्यास को कुल ५ भागों में बांटा गया है ।किताबघर रेटिंग:
४.
५/
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चंद्रकांता उपन्यास की लोकप्रियता के बाद ऐयारी और तिलिस्म पर आधारित कई उपन्यास लिखे गए। इनमे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ था-
शम्भूप्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित प्रेमकांता और प्रेमकांता संतति।इस उपन्यास को कुल ५ भागों में बांटा गया है ।किताबघर रेटिंग:
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चंद्रकांता उपन्यास की लोकप्रियता के बाद ऐयारी और तिलिस्म पर आधारित कई उपन्यास लिखे गए। इनमे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ था-
शम्भूप्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित प्रेमकांता और प्रेमकांता संतति।इस उपन्यास को कुल ५ भागों में बांटा गया है ।किताबघर रेटिंग:
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चंद्रकांता उपन्यास की लोकप्रियता के बाद ऐयारी और तिलिस्म पर आधारित कई उपन्यास लिखे गए। इनमे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ था-
शम्भूप्रसाद उपाध्याय द्वारा लिखित प्रेमकांता और प्रेमकांता संतति।इस उपन्यास को कुल ५ भागों में बांटा गया है ।किताबघर रेटिंग:
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मशहूर कवियों की
लोकप्रिय कवितायेँ
विभिन्न हिन्दी लेखकों के संस्मरण
मशहूर हिन्दी - पाकिस्तानी शायरों की गजलें
और भी बहुत कुछ....
पता इस प्रकार है:
http://hindikibindi.tk/
धन्यवाद्।
प्रबंधक
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'तब की बात और थी' में परसाई जी के चुने हुए दिल को गुदगुदाने वाले हास्य व्यंग्य लेख दिए हुए है।
हरिशंकर परसाई (२२ अगस्त, १९२२ - १० अगस्त, १९९५) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे
हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभग असंभव है। लगातार खोखली होती जा रही हमारी सामाजिक और राजनॅतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय मन की सच्चाइयों को उन्होंने बहुत ही निकटता से पकड़ा है। सामाजिक पाखंड और रूढ़िवादी जीवन–मूल्यों की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान–सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापा है, जिससे पाठक यह महसूस करता है कि लेखक उसके सामने ही बैठा है।
अवश्य पढ़े।
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संकल्प देवीदयाल चतुर्वेदी का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। अवश्य पढ़ें।
किताबघर रेटिंग: ४.४/५
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आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे । इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित था । इनकी प्रमुख कृतियां सोमनाथ , वयं रक्षाम: और वैशाली की नगर वधू इत्यादि हैं ।
आचार्य चतुरसेन के उपन्यास रोचक एवं दिल को छूने वाले होते है। देवांगना भी एक ऐसा ही उपन्यास है।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को चांदोख ज़िला बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में इनकी प्रतिष्ठा है। चतुरसेन शास्त्री की यह विशेषता है कि उन्होंने उपन्यासों के अलावा और भी बहुत कुछ लिखा है, कहानियाँ लिखी हैं, जिनकी संख्या प्राय: साढ़े चार सौ है। गद्य-काव्य, धर्म, राजनीति, इतिहास, समाजशास्त्र के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर भी उन्होंने अधिकारपूर्वक लिखा है।
अनुरोधकर्ता:
विजयवाडा से टी. मुकेश
दिल्ली से अमन कुमार, वरुण और मोहित
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कृपया यहाँ क्लिक करेंआचार्य जी का एक उपन्यास 'आग और धुआं' हमने पहले अपलोड किया था। उसे भी काफ़ी पसंद किया गया। आप भी चाहे तो उसे इस पते पर डाउनलोड कर सकते है:
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विश्वासघात गुरुदत्त का एक महान उपन्यास है।
युवावस्था से ही राजनीतिज्ञों से सम्पर्क, क्रान्तिकारियों से समीप का संबंध तथा इतिहास का गहन अध्ययन-इन सब की पृष्ठभूमि पर ‘‘सदा वत्सले मातृभूमे’’ श्रृंखला में चार राजनीतिक अत्यन्त रोमांचकारी एवं लोमहर्षक उपन्यास श्री गुरुदत्त ने हिन्दी जगत् को दिये है-
1.विश्वासघात
2.देश की हत्या
3.दासता के नये रूप
4. सदा वत्सले मातृभूमे !
समाचार पत्र, लेख, नेताओं के वक्तव्यों के आधार पर उपन्यास की रचना की गई है ! उपन्यासों के पात्र राजनीतिक नेता तथा घटनाएं वास्तविक हैं।
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महान लेखक गुरुदत्त का यह एक महान उपन्यास है। अवश्य पढ़ें।
अनुरोधकर्ता:
जींद, हरयाणा से अनिल शर्मा,
जालंधर से कपिल सिंह,
और पीलीबंगा से सरताज सिंह कलेर
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उड़ते पत्ते उपन्यास श्री देवीदयाल चतुर्वेदी का ११ वां मौलिक उपन्यास है। इनके उपन्यास काफ़ी रोचक होते है।
अनुरोधकर्ता:
जयपुर से दीपक गोदारा
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किताबघर के पाठकों के लिए आज पेश है -
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के दो उपन्यास एक साथ -
इंदिरा और युग्लान्गुरिय । दोनों उपन्यास एक ही फाइल में है।
किमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च १८६५ में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। उनकी अगली रचना का नाम कपालकुंडला (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।
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बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं। उनकी लेखनी से बंगाल साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है, हिन्दी भी उपकृत हुई है। उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि पिछले डेढ़ सौ सालों से उनके उपन्यास विभिन्न भाषाओं में अनूदित हो रहे हैं और कई-कई संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। उनके उपन्यासों में नारी की अन्तर्वेदना व उसकी शक्तिमत्ता बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त हुई है। उनके उपन्यासों में नारी की गरिमा को नयी पहचान मिली है और भारतीय इतिहास को समझने की नयी दृष्टि।
वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे। वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं।
यह उपन्यास बंकिम चंद्र का एक प्रसिद्ध रोमांटिक उपन्यास है।
उपन्यास का एक अंश : मुझे कुलटा जो बता रहे हो सब झूठ है। हृषिकेश क्रोधित होकर बोले, ‘‘पापिनी ! मेरे अन्न से पेट पालती है और मुझे ही दुर्वचन सुनाती है। जा, मेरे घर से इसी समय निकल जा, माधवाचार्य की खुशी की खातिर मैं अपने घर में काली नागिन नहीं पाल सकता हूं।’’
मृणालिनी बोली, ‘‘तुम्हारी आज्ञा के अनुसार ही तुम कल सवेरे मेरा मुंह नहीं देख पाओगे।
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गाँव - उपन्यास (मुल्कराज आनंद)
मुल्कराज आनंद देश-विदेश में प्रसिद्ध उपन्यासकार है। वे अंग्रेजी में लिखते है। 'The Village' उनका बहुचर्चित उपन्यास है। उसी का हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
इसके लिए अनुरोध किया था:
रायपुर से अमित सिन्हा ने
तथा मुंबई से आशीष पाटिल ने ।
आप दोनों को बधाई।
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